Sunday, May 24, 2020

प्रकरण क्रमांक:- (२९) "मर्यादित परिवार"

                  "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



             "मानवधर्म परिचय पुस्तक"

                  प्रकरण क्रमांक (२९)

                    "मर्यादित परिवार"


प्रकरण क्रमांक:- (२९) "मर्यादित परिवार"


        महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने मानव धर्म की शिक्षा में जो चार तत्व, तीन शब्द और पाँच नियम दिये है, उनमें से नियम पांच में उस समय की परिस्थिती अनुसार "मानव मंदिर सजाने के लिये फन्ड अनुदान जमा करना" यह नियम दिया था। तदनुसार बाबाने सेवकों का मानव मंदिर, सहकारी बँक, ग्राहक भांडार इसके स्वरुप में सुसज्जित करने के बाद भी सेवकों को जीवनयापन चलाने के लिये कठिनाई आती है। यह ध्यान में आने पर उसके कारणों का संशोधन कर उसपर इलाज (निदान) निकाला।

       वर्तमान में देश की अथवा संपूर्ण दुनिया की परिस्थिती को देखते हुए मानवों की निर्मित समस्याएँ कोई भी सरकार संपूर्णतः छुडा नही सकती। अथवा कोई भी सरकार अपने देश की उन्नती नही कर सकती। बढती हुई महंगाई, खाद्यान्यों की कमी, उद्योग, व्यवसाय में गिरावट इसे यदि कोई जिम्मेदार है तो वह बढती हुई जनसंख्या है। जब तक इस बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण नही लगेगा तब तक वर्तमान समय में कोई भी देश अपनी प्रगती नही कर सकता। इसलिए हर एक देश की सरकारने इस विषय में कई संशोधन पर "परिवार कल्याण" नामक योजना प्रारंभ की है। उसमें भारत यह देश दूसरे
क्रमांक पर है लेकीन यह योजना भारत में सरकार के व्दारा सफल नही हुई। भारत सरकार अभी भी मर्यादित परिवार के लिये मानव जागृती कर विभिन्न प्रकार की योजनाएँ चला रही है। लेकीन सरकार अभी-भी जनसंख्या पर नियंत्रण नही कर सकी।

         महानत्यागी बाबा जुमदेवजींने भगवान बाबा हनुमानजी का वार्षिक कार्यक्रम तथा एक भगवंत का सैतीसवां प्रगट दिन उत्सव दि. १७/८/१९८४ को मनाते समय सेवकों को निर्मित समस्याओं का निराकरण कराने के लिये निम्नानुसार मार्गदर्शन किया।

         उन्होंने अपने मार्गदर्शन में कहा की जीवन में चलने के लिए, गृहस्थी उच्च स्तर पर लाने के लिये, मानवी जीवन के अनेक उद्देश सफल बनाने के लिये बाबाने जो पांच नियम दिये है। उनमें से पाँचवा नियम मानव मंदिर सजाने के लिये "फंड अनुदान जमा करना" की जगह "अपना परिवार मर्यादित रखना" यह नियम आज से लागू करे। क्योंकी फंड अनुदान बहुत हो चुका और उस फंड का सदपयोग हमने अच्छे कार्य के लिये किया है। और इन सभी बातों का लाभ सेवकों को मिल रहा है। लेकीन सेवक उनके बच्चो का सही ढंग से परिपालन कर सकें तथा उन्हें अच्छी शिक्षा दे सके। इसके लिये हर एक की अपना सिमित परिवार चाहिये। इस लिये निम्नानुसार नियम का पालन करे। ऐसा सेवकों को आदेश दिया।

१) इस मार्ग में जो सेवक है अथवा होंगे, उनके परिवार में जिनकी शादी हुई है अथवा आगे होगी, उन्होने शादी के बाद केवल दो बच्चे (संतान) होने दे।
२) डॉक्टरी सलाह लेकर स्त्रीयों ने गर्भ प्रतिबंधक उपाय करना चाहिए।
३) प्रत्येक परिवार में लड़के (पुत्र) के विवाह की आयुसीमा २५ वर्ष की हो। २५ वर्ष से पहले किसी भी लडके का विवाह ना करे।

         महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने आगे कहा की, आज ऐसा देखने में आता है की शादी होने पर ४-५ साल में ही ३-४ बच्चे पैदा होते है।उस कारण माता-पिता को उनका परिपालन करने में तारे नजर आते है और उन्हें बहुत कष्ट होता है। उसी प्रकार माँ की प्रकृती पर भी परिणाम होता है। उपरोक्त नियमों का पालन करने से स्वास्थ ठिक और खर्च में बचत होकर जीवनमान ऊँचा होगा इसलिये सभी आगे "मर्यादित परिवार" यह नियम पालन करें ऐसा आदेश दिया और उस दिन से अर्थात १७ अगस्त १९८४ से सभी सेवकों ने वह नियम अमल में लाया।

        इस तरह जो काम सरकार एकाएक कर नही सकी, वह कार्य इस मार्ग के सेवक बाबांके आदेशानुसार सेवकों को मार्गदर्शन करके राष्ट्रहित का कार्य कर रहे है।

नमस्कार..!

लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।

टिप:- ये पोस्ट कोई भी कॉपी न करे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।



🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


🌐 हमें सोशल मीडिया पर अवश्य मिले।

सेवक एकता परिवार ( Facebook Page )
https://www.facebook.com/SevakEktaParivar/
सेवक एकता परिवार ( Blogspot )
https://sevakektaparivar.blogspot.com/?m=1
सेवक एकता परिवार (YouTube Channel )
https://www.youtube.com/channel/UCsZFWZwLJ3AzH1FWhYNmu8w

सोशल मीडिया लिंक:-https://www.facebook.com/SevakEktaParivar/

No comments:

Post a Comment

परमात्मा एक मानवधर्मात सेवकांनी दसरा सण कशाप्रकारे साजरा करावा.

  "परमात्मा एक" मानवधर्मात सेवकांनी दसरा सण कशाप्रकारे साजरा करावा.         !! भगवान बाबा हनुमानजी को प्रणाम !!       !! महानत्याग...