Sunday, May 24, 2020

प्रकरण क्रमांक:- (३०) "मठाधिपती"

               "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



              "मानवधर्म परिचय पुस्तक"

                 प्रकरण क्रमांक (३०)

                      "मठाधिपती"


प्रकरण क्रमांक:- (३०) "मठाधिपती"


         भारत देश में बहुध्मी लोग रहते है। इस देश का इतिहास देखने से यह पता चलता है की इस देश में अनेक भक्तिपंथ अथवा मार्ग का उगम हुआ है तथा उस मार्ग के मठ निर्माण कर के उसके मठाधिपती मनोनीत किये गये है। उसका कारण यह है की। भारतीय संस्कृति का उगमस्थान भक्ती का हो या मार्ग का हो उसे अनन्य साधारण महत्व इस समाजमें है तथा उसके संस्थापक और प्रचारक इन्हें उस संस्था के अथवा मठ  के स्वाधिकार प्राप्त होते हैं।

            महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने अपने निवासस्थान पर एक भगवत की प्राप्ती कर मानव धर्म स्थापित किया। इस मार्ग का उगमस्थान उनका स्वयं का निवासस्थान है और वह १९४८ से निरंतर मानव जागृती का प्रचार कर मानव को जगाने का कार्य निष्काम भावना से कर रहे हैं। और इसी उद्देश से"मानव-मंदिर" इस भवन की निर्मिती हुई। इसलिये उन्हें इस नवनिर्मित "मानव-मंदिर" इस भवन का मठाधिपती घोषित करना यह प्रमुखता है। उसी तरह मठाधिपती इस अधिकार से उनका उत्तराधिकारी मनोनीत करने का संपूर्ण अधिकार भी उन्हे बहाल किये जाते है। ऐसा ३१ जनवरी १९८८ को हुई मंडल के कार्यकारिणी एवं कार्यकर्ताओं की बैठक में निश्चित किया गया। तदनुसार कार्यकारिणीने बाबा के "मठाधिपती" का पद विभूति करने की बिनती की गयी तथा बाबाने यह बिनती मान्य की।

      तद्नुसार परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ, नागपूर के दिनांक २७ मार्च १९८८ की आमसभा में मानव को सुयोग्य मार्ग दिखाकर निष्काम भावना से मानव जागृती का कार्य करनेवाले, सब सेवकों के मार्गदर्शन व प्रणेता(प्रेरणास्त्रोत), मानवधर्म के सस्थापक महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनको "मठाधिपती" घोषित किया गया तथा उन्हें मठाधिपती के समस्त अधिकार बहाल किये गये उसी तरह मठाघिपती इस दायित्व से उनके व्दारा लिये गये सभी निर्णय मंडल एवं समस्त सेवक इन्हे बंधनकारक रहेगा। ऐसा एकमत से (एकतापूर्वक)निश्चित किया गया। इस तरह महानत्यागी बाबा जुमदेवजी यह परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडल के संस्थापक है एवं मानव-मंदिर के मठाधिपती है।

नमस्कार..!

लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।

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🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


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