"मानवधर्म परिचय"
"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर, नागपूर
"भूतबाधाओं का विनाश"
प्रकरण क्रमांक: (४) "भूतबाधाओं का विनाश"
बाबाने परमेश्वर की कृपा प्राप्त करने के बाद वे उनके पास आनेवाले दःखी त्रस्त लोगों का दुख दूर कर उनको उससे मुक्त करते थे। वर्तमान में भूतबाधाओं के संबंध में जो अंधश्रध्दा लोगों में फैली है। वही अंधश्रध्दा उस समय भी परंपरा के अनुसार लोगो के दिलों में घर कर गयी थी। लोगों का भूतबाधाओं से मुक्ती पाने हेतु दैवी शक्ती के पास जाकर उस त्रासदी से स्वयं को बचाने का प्रयास करते है इस प्रकार बाबाके घर में भूतबाधाओं पर विश्वास करनेवाले लोग थे और उन्हें भी इस परमेश्वरी कृपा लाभ होकर उनकी भूत बाधाएँ खत्म हुई और वे अंधश्रध्दा से आझाद हुए।
बाबांके घर के सामने उनके दो जेष्ठ बंधु श्री. बाळकृष्ण और नारायणराव अलग रहते है। उनके घर बाळकृष्ण की पत्नी श्रीमती सीताबाई के तन में भूत आता था घर में सभी को इससे सारी रात परेशानी होती थी। बाबा के घर हवनकार्य होने के कारण उन्हे सुख शांति का लाभ हुआ था। बाबाने परमेश्वरी कृपा प्राप्त की थी इसलिए वे दोनो भाई बाबा के पास त्रिताल हवन की समाप्ती के दूसरे ही दिन पधारे और उन्होने बाबा को बिनती की, की बाबा आप हमारे घर हवन करे। इससे हमारे दुःख दूर होंगे। बाबाने उनकी बिनती को मानकर बताया की, मैं हरदिन शाम को एक ही समय ग्यारह दिन हवन करुंगा।
निर्धारानुसार बाबाने हवन कार्य की शुरुवात की। श्रीमती सीताबाई यहाँ पास ही बैठती थी। हवन के पहले ही दिन हवन कार्य के दौरान उस बाई के शरीर में बहुत सारे भूत आने लगे। आहुती डालने के दौरान उस बाई के मुख से ऐसे शब्द निकलते थे की मैं फलाना हूँ। मैरा नाम फलाना है। मैं फलानी जगह रहती हूँ। मुझे बाबा हनुमानजी ने पकडा और हवनमें डाला। ऐसे शब्द निरंतर हवन समाप्त होने तक हर रोज उस बाई के मुख से निकलते थे। तिसरे हवन के दिन उपरोक्त शब्द करीब-करीब दो घंटो तक उस बाई के मुख से निकलते रहे, तत्पश्चात दूसरे शब्द उसके मुख से बाहर निकले। मेरे शरीर में बहुत जलन हो रही है, मैं जल रही हूँ और अब मर रही हूँ। ऐसे वह जोर-जोर से चिल्लाती थी। उसके यह शब्द सुनकर और उसकी दर्दशा देखकर बाबा को बहुत बुरा लगा। उनसे रहा नही गया उन्होने कपूर जलाकर बाबा हनुमानजी को बिनती की, की बाबा हनुमानजी मेरे सामने यह बहुत बडी समस्या खडी हुई है। तब आप उसे समाधान दे। बिनती पूर्ण होने पर तथा कपूर बुझने के बाद परमेश्वरने बाबा की बिनती को प्रतिसाद दिया। उस बाई के मुख से पुनः शब्द निकले की मैं पार्वती हूँ। बाबा हनुमानजी मुझे कैलास बुलाने आये और कहने लगे की उस औरत के शरीर की अंगार हो रही है। तुम वहाँ जाओं और उसे संभालो। पार्वतीजीने आगे कहा की मेरी अंगार हो रही है मुझे इक्कीस गुंड पानी से नहलाओं और सफेद वस्त्र पहनाओं बाबाकों यह सुनकर आश्यर्च हुआ। उन्हे लगा उसके बोलने में ऐसा परिवर्तन कैसा हुआ। तब बाबाने स्लेटपट्टी पर लिखकर उस परिवार जनों को उस औरत से पुछने के लिए कहा की अब तक शैतान आये अब पार्वती कैसी आयी। उसके अनुसार उस भाई ने पुछा तब उसने उत्तर दिया की हनुमानजी मुझे कैलास बुलाने आये और मुझसे कहा, उस झाड (बाई) के शरीर में प्रवेश करो और उसे बचाओं। यह सुनकर बाबानें स्लेटपट्टी पर लिखकर आदेश दिया की उसे इक्कीस गुंड पानी से नहलाकर सफेद वस्त्र पहनाओं और बाद में हवन कार्य में लाओं। तद्नुसार उस बाई को इक्कीस घगरी पानी से नहलाकर सफेद वस्त्र पहनाए और वह बाई फिर से हवन कार्य में आ बैठी. तब तक हवन करना रोका गया था। तत्पश्चात हवन कार्य पुरा किया। उस दिन से उस बाई के शरीर में भूत आना बिल्कुल बंद हुआ और तब से उसके शरीर में प्रत्येक शनिवार को पार्वती आने लगी।
इस ग्यारह दिन के हवन कार्य के दौरान एक दिन जिस व्यक्ती ने बाबा को मंत्र दिया था वह व्यक्ती हवन करते समय बाबा के पास आया और हवन करते समय बाबा के पास आया और हवन के लिए बैठा। हवन समाप्त होने पर वह व्यक्ती बाबा कों बताने लगा की मैं जिस जगह पर बैठा था वह जगह हवन कार्य के समय जोर जोर से हिल रही थी। संपूर्ण आहुती देना बंद होने पर जगह हिलना बंद हुआ। इस पर से बाबाने ऐसा अनुमान लगाया की इस घर से संपूर्ण भूतबाधा नष्ट होकर वह पवित्र हुआं है। अब यहाँ परमेश्वर वास्तव करेगा। इस प्रकार उस परिवार के सभी को सुखशांति मिली।
बाबा के कारण भूतबाधाएँ नष्ट होती है। यह जब लोगों कों मालून होने लगा। तब बहुत से लोग बाबा के यहाँ आने लगे। बाबा उन्हे मंत्र से तीर्थ बनाकर देते थे। तथा उनके दुःख दूर करते थे। हर शनिचर को जब श्रीमती सीताबाई के शरीर में पार्वती आती थी। तब उनकी ओर भूतबाधाओं से पिडीत लोग आते थे। जिन लोगों के शरीर में देवी, देवता, भूत, शैतान आते थे। वे उस पार्वती से बहुत बहस करते रहते थे तब अंत में पार्वती उनसे कहती की, "मैं तुझे जला दुंगी' " तब वे लोग शांत होते थे और उनके शरीर की देवी, देवता, भूत, शैतान नष्ट होकर वे होश में आते थे। तत्पश्चात उनके शरीर में कभी भी भूत नहीं आता।
इस प्रकार उनके यहाँ दुःखों से ग्रस्त लोगों को भी सुख मिलने लगा और परमेश्वरी कृपा का लाभ होने लगा और इस तरह बाबानें परमेश्वरी कृपा से भूतबाधाए नष्ट होती है, भूत-शैतान परमेश्वर से डरते है और जहाँ परमेश्वर निवास करता है वहां भूत-शैतान नही रह सकते यह सिध्द कर दिखाया है। भूत बाधा देव-देवता इनपर लगा में व्याप्त अंधश्रध्दा को बाबाने तिलांजली दी। यद्यापि बाबा लोगों के दुःख दूर करते थे फिर भी उन्हें इस बाबत कुछ भी ज्ञात नही था। वे अज्ञातवास में थे।
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
नमस्कार..!
टिप:- ये पोस्ट कोई भी काॅपी न करें, बल्की ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
🔶 उपर लिखीत पोस्ट "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )
परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर
🌐 हमें सभी सोशल मीडिया पर अवश्य मिले।🌐
सेवक एकता परिवार ( Facebook Page )
https://www.facebook.com/SevakEktaParivar/
©️सेवक एकता परिवार ( Blogspot )
https://sevakektaparivar.blogspot.com/?m=1
©️सेवक एकता परिवार (YouTube Channel )
https://www.youtube.com/channel/UCsZFWZwLJ3AzH1FWhYNmu8w
सोशल मीडिया लिंक:-https://www.facebook.com/SevakEktaParivar
No comments:
Post a Comment