"मानवधर्म परिचय"
"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती
"मानवधर्म परिचय पुस्तक"
प्रकरण क्रमांक (३६)
"दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था, धोप"
प्रकरण क्रमांक:- (३६) "दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था, धोप"
सालईमेटा इस जगह दुध उत्पादक संस्था प्रारंभ होने के बाद उसकी दिनोंदिन हो रही प्रगती देखकर भंडारा जिल्हा के घोप, लोहारा, ताडगांव गायमुख, सोरना, सिरसोली, मोरगांव, कारटी, लंजेरा, जांब, कांद्री इत्यादी गाँवों के "मानव धर्म" इस मार्ग के सेवकों ने घोप इस गांव में १४ सितंबर १९७९ को श्री. श्यामरावजी कार, लोहारा इनकी अध्यक्षता में सभा आयोजित की, और इस क्षेत्र में दुध डेअरी स्थापित की जाए और इसके लिये महानत्यागी बाबा जुमदेवजी को बिनती की जाए ऐसा निश्चित किया गया। उसी जुमदेवजी को बिनती की जाए ऐसा निश्चित किया गया। उसी सभा में श्री. हिराजी शेंडे, धोप इनको प्रमुख मनोनीत किया गया।
निश्चित किये अनुसार उपरोक्त गांवों से सेवकों का एक शिष्ट मंडल श्री. हिराजी शेंडे इनकी अध्यक्षता में महानत्यागी बाबा जुमदेवजी को विनती करने हेतु नागपूर आये। उन्होने बाबांसे बिनती की की, हमें छः सात मैल(१५-१८कि.मी.) दूरी तक दुध ले जाना पड़ता है। और अन्य डेअरी से भी हमें परेशानी है। इसलिये इस ग्रामीण क्षेत्र के सेवकों कों तथा अन्य लोगों को दुध डेअरी स्थापना करने से एक उद्योग मिलेगा और परेशानी से सेवक मुक्त होंगे। दुध उत्पादकों के दुध को उचित किमत मिलेगी। दूध की राशि भी उनको समय पर मिलेगी और इससे इस क्षेत्र के दी-गरीब सेवकों की परिस्थिती सुधरेगी। इसलिये आप हमारे क्षेत्र के "धोप" इस गांव में दुध डेअरी तैयार कर देवे, जिससे हमारा जीवनमान उँचा होगा। बाबाने उनकी बिनती को मान कर थोप इस गांव में उस क्षेत्र के सेवकों की बैठक बुलायी। बाबा उस बैठक में स्वयं उपस्थित थे।
महानत्यागी बाबा जुमदेवजी ने इस बैठक में सभी सेवकों को योग्य मार्गदर्शन किया और श्री. हिराजी शेंडे इनको प्रमुख प्रव्तक नियुक्त कर उनकी अध्यक्षता में ग्यारह लीगों की समिती बनाकर श्री. हिराजी शेंडे को भंडारा जिला दुग्ध विकास अधिकारी, भंडारा इनसे पत्र व्यवहार करने का अधिकार दिया। साथ ही साथ इसी बैठक में ११२ सादस्य बनाकर उनकी ओर से शेअर्स के रुप में डिपोजीट राशि जमा की।
श्री. हिराजी शेंडे, धोप इन्होने दूध उत्पादक संस्था के लिये पत्राचार करके सहकारी कानून के अनुसार इस संस्था को धोप की जगह "गायमुख" इस गांव के नाम पर दुध उत्पादक संस्था के लिये भंडारा जिला दुग्ध विकास अधिकारी भंडारा इनके पत्र क्र.बी. एच.ए./पी.आर.डी./ए.१९४, दि. ७ अप्रैल १९८१ को पंजीयन किया क्योको धोप यह गांव जांब इस गांव के दूध डेअरी की कक्षा में आता था। इस संस्था का नाम । "परमात्मा एक सेवक दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्था मर्या. गायमुख" ऐसा रखा गया। संस्था का दधाटन महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके एकलौते सुपुत्र डॉ. मनो ठुब्रीकर ,असोसिएटेड प्रोफेसर, व्हर्जिनिया मेडीकल सॉटर, व्हिजिनिया, यु. एस ए. इनके करकमलों व्दारा दिनांक १ फरवरी, १९८१ को महानत्यागी बाबा जुमदेवजी की उपस्थिती में ग्रामपंचायत ऑफीस, धोप यहाँ हुआ। इस गांव के सरपंच श्री आत्माराम सोलंकी इन्होने उनके क्षेत्र में आनेवाली जगह महानत्यागी बाबा जुमदेवजी की निष्काम सेवा देखकर उन्हें दूध डेअरी के लिये किराये के बगैर उपयोग करने दी। इसी दिन प्रत्यक्ष रूप में दुध संकलन को शुरुवात हुई। पहले ही दिन २०० लिटर दुध संकलित किया गया।
इस संस्था की स्वयं का भवन हो इसलिये रामटेक-तुमसर मार्ग पर एक अच्छी सी जगह देखने का निश्वय किया गया। इसके लिये संभावित खर्च के नाम से ८० लोगों से चोबीस हजार रुपये हिपॉजीट जमा किये गये इसी गाँव में तुकाराम पतीराम शेंडे नामक बाबा का एक सेवक रहता था। वह अत्यंत गरीब था। लेकीन उसके संपूर्ण दुःख इस मार्ग में आने से नष्ट हुए थे। उसे इस मार्ग में आने से पूर्व जो शारिरीक कष्ट थे। उसके लिये उसने बहुत पैसा खर्च किया। तांत्रिक-मात्रिक उपचार किया था। लेकीन दुःख दूर नही हुये। उल्टे वह बरबाद हुआ। इस मार्ग में आनेपर उसका संपूर्ण दूख दूर होकर उसकी सभी प्रकार की शासिरीक, मानसिक और आथिक परिस्थिती सुधरी। जिससे आनंद हुआ। उसकी धान(चावल) की खेती तुमसर-रामटेक इस मार्ग पर थी। उसमें से १০० X १०० फिट जगह उसने इस संस्था के लिये दान देने की इच्छा बाबा समक्ष प्रस्तुत की। लेकीन बाबाने उसकी आर्थिक स्थिती देखकर उसे संस्था की ओर से तीन हजार रुपये जमीन की किमत के नाम से दी। और इस संस्था में आजीवन चौकीदार की भी दी। आज भी इस संस्था में वह चौकीदार है। दुध डेअरी अच्छी चले इसलिये इन संस्था ने उस परिक्षेत्र के पचास लोगों की जिम्मेदारी लेकर अन्य बैंको से उन्हें गाय. भैस लेने के लिये कर्ज उपलब्ध करा दिया। उसी तरह डेअरी की इमारत निर्मिती के लिये परमपूज परमात्मा एक सेवक मंडल, नागपूर की ओर से भी आर्थिक सहायता ली।
इस तरह से इस डेअरी की दिनोंदिन प्रगती हो रही है। आज इस तरह रोजाना ८०० लिटर दुध संकलित होता है। यहाँ के दूध उत्पादकों को समयपर एवं बिना परेशनी के पैसे दिये जाते है इस कारण इस क्षेत्र के दूध उत्पादक उत्साहीत है। आज इस डेअरी की स्वयं की वास्तु है और उसका परिसर यहाँ के कर्मचारियों ने अत्यंत रमणीय बनाया है। इस संस्था की स्वयं की "फॅट परिक्षण मशीन" है और दूध उत्पादकों के जानवरों के लिये पशु-आहार का क्रय-विक्रय केन्द्र भी शुरु किया है। उसी तरह पुरक धंदे के रुप में रासायनिक खाद का व्यवहार प्रारंभ किया है। जिससे इस परिक्षेत्र के लोगों का बरबाद होने वाला समय, वे कृषी के कार्य में उपयोग करते है।
यह सभी बातें महानत्यागी बाबा जुमदेवजीं इनके मार्गदर्शन से संभव हुई है। उन्होने अपने सेवकों को इस ग्रामीण विभाग में आध्यात्मिक मार्गदर्शन कर व्यावहारिक ज्ञान दिया। इस प्रकार बाबाने अपने सेवकों की सामाजिक समस्याएँ हल की हैं।
नमस्कार..!
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
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