"मानवधर्म परिचय"
"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती
"मानवधर्म परिचय पुस्तक"
प्रकरण क्रमांक (२८)
"महानत्यागी"
प्रकरण क्रमांक:- (२८) "महानत्यागी"
समर्थ बाबा जुमदेवजीने १९४६ साल में बाबा हनुमानजी की प्राप्ति करने के पश्चात वे मानव के दुःख दुर करने लगे। लेकीन उस कृपा से मानव के दुःख पूर्णत: नष्ट नहीं हुए इसलिये उन्होने ऐसी शक्ती का संशोधन करना प्रारंभ किया कि जो मानव के सभी प्रकार के दुःख हरण कर सके। अंत में उन्होने सन् १९४८ में एक भगवंत की प्राप्ती की। तब से परमेश्वर के प्रती मनुष्यों को जगाने का कार्य निष्काम भावना से वे निरंतर कर रहे है। इसके लिये बाबा मानव को रोज मार्गदर्शन करते है।
मानवको उनके शारिरीक एवं मानसिक दुःखो से मुक्त करने के बाद उनकी आर्थिक और सामाजिक कठिनाईयों का निवारण करने के लिये बाबा आध्यात्मिक विषयों के साथ-साथ सामाजिक क्रांती की ओर बढे। उसके लिये उन्होने अपने सेवकों की आवश्यकताएँ पूर्ण होना चाहिये इसलिये परमपूज्य "परमात्मा एक सेवक मंडळ'" की स्थापना की, और उस माध्यम के व्दारा परमात्मा एक नागरिक सहकारी बँक, गोलीबार चौक, नागपूर यहाँ स्थापित की। जागनाथ बुधवारी, नागपूर यहाँ "परमात्मा एक सेवक ग्राहक भंडार" खोला। सालईमेटा और धोप इन गाँवों में वहाँ के सेवकों को कृषी के
साथ-साथ जोड धंधा मिलना चाहिए इसलिये दुध उत्पादक संस्था की स्थापना की।
यह सब कार्य करते समय आध्यात्मिक विषय पर अधिक जोर देकर उन्होने सन् १९४७ से १९८४ अर्थात् करीब ३७ वर्षोतक लगातार निष्काम भावना से मानव जागृती के कार्य किये। अभी भी यह कार्य चालु है। इसके लिये उन्होने गाँव-गाँव, बस्ती-बस्ती, गर्मी (धूपकाल), बारीश(बरसात) अथवा ठंड (शीतकाल) के दिनों की परवाह न करते हुए पैदल, खाचर(छकडा), बैलगाडी, बस इत्यादी साधनो से यात्रा की। इसके लिये आनेवाला खर्च वे स्वंय वहन करते थे। गाँव-गाँव में जो कुछ भी मिलता वह खाते-पीते रहते। लेकीन मैंने भगवंत प्राप्ती की है, इसलिये लोगों ने मुफ्त में भोजन कराये ऐसा मोह कभी भी होने नही दिया। वे कभी भी गुरुपुजा नही लेते। आत्मा यही परमात्मा है और वह हर एक में है, यह वे समझते है। इसलिये किसी को भी स्वयं के पांव छुने (पडने) नही देते। किसी का भी व्यक्तिगत हार स्वीकार नही करते। परमेश्वरी कार्य करते समय वे स्नान करने करने की अथवा भोजन करने की भी परवाह नही करते।
बाबांने उपरोक्त संस्थाएँ स्थापना कर सेवकों को उनकी गृहस्थी उच्च स्तर पर लाने के लिये इस संस्थाओं से लाभ दिलाया है। यह संस्थाएँ बाबांने अपने मार्गदर्शन व्दारा तैयार की है। उन्होने खुद अंगमेहनत की है. खुद का शरीर झिजाया है। यह योजनाएँ साकार करने के लिये स्वयं के खुन का पानी किया है (बेहिसाब मेहनत की) और यह संस्थाएँ निर्माण होकर नाम रुप आने पर स्वंय के परिश्रम का फल समझकर भी उन्होने उसके बदले में कुछ भी नही लिया। इन संस्थाओं सें होनेवाले लाभ का कभी-भी स्वंय के लिये उपयोग नही किया कदापि चाय तक भी उन्होने इस संस्थाओं की ओर से नही ली। बैंक की और मंडल की वास्तू तैयार करते समय स्वयं छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर वह पूर्ण करने के लिये अति परिश्रम किया। इस पर से उन्होने किये हुए त्याग की कल्पना कर सकते है।
इतना ही नही "आपना सारखे करिती तात्काळ नाही काळवेळ तया लागी" इस कथनानुसार समर्थ बाबा जुमदेवजींने अपने सभी सेवकों को (स्वावलंबी) आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिये सिखाया है। उनके आचरण(व्यवहार) में स्वयं जैसा त्याग निर्माण किया है। बाबांने दिये हुए तत्व, शब्द और नियमों के व्यवहार से, सेवकों के जीवन में त्याग ही निर्माण हुआ है। और इसलिये मंडल व्दारा अस्तित्व में आयी सभी संस्थाएँ प्रगती पथ पर है उन्होने अपने जीवन में निरंतर त्याग करने के कारण उनपर परमेश्वर की कृपा कायम है।
परमेश्वरी कार्य के लिये बाबा निरंतर त्याग करते आये है बाबां के यह उपरोक्त सभी तरह के कार्यों को ध्यान में रखकर परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ ने दि. ५/८/१९८४ को कार्यकर्ताओं की बैठक में "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" ऐसा संबोधन करना चाहिए यह निश्चित किया। और तद्नुसार समस्त सेवकों की ओर से मंडल के कार्यकारिणीने बाबा को विनम्र बिनती करने पर सेवकों की बिनती को सम्मान देकर उपरोक्त उपाधि स्विकारने हेतु बाबांने अनुमती दी। तद्नुसार दि. १६ अगस्त १९८४ के दिन सम्पन्न वार्षिक प्रगट दिन के सुअवसर पर बाबां को "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" यह उपाधि समस्त सेवकोंकी ओर से प्रदान की गई। और बाबाने यह सहर्ष स्वीकार की। उस दिन से बाबा सद्गुरु समर्थ इस नाम की जगह में "महानत्यागी" बने ।
नमस्कार..!
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
टिप:- ये पोस्ट कोई भी कॉपी न करे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )
परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर
🌐 हमें सोशल मीडिया पर अवश्य मिले।
सेवक एकता परिवार ( Facebook Page )
https://www.facebook.com/SevakEktaParivar/
सेवक एकता परिवार ( Blogspot )
https://sevakektaparivar.blogspot.com/?m=1
सेवक एकता परिवार (YouTube Channel )
https://www.youtube.com/channel/UCsZFWZwLJ3AzH1FWhYNmu8w
सोशल मीडिया लिंक:-https://www.facebook.com/SevakEktaParivar/
No comments:
Post a Comment