Saturday, May 30, 2020

प्रकरण क्रमांक:- (३८) " धर्मार्थ अस्पताल"

                 "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



                "मानवधर्म परिचय पुस्तक"

                   प्रकरण क्रमांक (३८)

                   "धर्मार्थ अस्पताल"


प्रकरण क्रमांक:- (३८) "धर्मार्थ अस्पताल"


        सृष्टी के बदलते वातावरण से अनेक रोग उत्पन्न होते है। और उससे मानव को तकलीफ होती है। वर्तमान के गतीशील समय में समाज के निर्बल और कमजोर वर्ग के लोगो को मुफ्त वैद्यकिय सेवा उपलब्ध होना यह समय की मॉँग है। तथापि परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ, नागपूर इस संस्था से संबंध रखनेवाले अनेक गरीत लोग वैद्यकीय उपचार से वंचित है। उन्हें वैद्यकीय सेवा उपलब्ध करा देना यह उद्देश सामने रखकर नागपूर शहर के पिछडे क्षेत्र में इस मार्ग के अधिकतम सेवक निवास करते है। ऐसे क्षेत्र में धर्मार्थ अस्पताल खोल कर उन्हे वैद्यकीय सेवा उपलब्ध करनी चाहिए इस उद्देश सें दिनांक ४ सिंतबर १९८८ को इस संस्था के कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। और मंडल ब्दारा धर्मार्थ अस्पताल खोलने का निश्चय किया गया|

          "स्वास्थय ही धन है (Health is Wealth) इस कथनानुसार मानव की तबीयत स्वस्थ रहने पर ही वह अपने संपूर्ण जीवन में अनेक बातों को आसानी से उपलब्ध करा सकता है। मंडल की ओर से धर्मार्थ अस्पताल महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके मार्गदर्शन से खोला जाए ऐसा निश्चित होने के बाद बाबां को मंडल की ओर से तत्ससंबंधी बिनती की गई।

       महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने आध्यात्मिक कार्य करने के लिये मानव को जागृत किया। उसके साथ-साथ इस मार्ग के सेवकों के लिये सामाजिक कार्य भी किया। उनके रोजमर्रा जीवन के अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सहकारी बैंक, ग्राहक भाडार, दूध उत्पादक संस्था आदि अनेक संस्थाये निर्माण कर इस मार्ग के सेवक गरीब और परिश्रमी होने के कारण उनका जीवन निर्वाह समाधानकारक होने के लिये सहयोग किया। मंडल की बिनती अनुसार उनकी तबीयत सुदृढ एवं स्वस्थ रहे। उनका रोगो से संरक्षण हो, ऐसे दृष्टिकोण से बाबाने मंडल के इस कार्य को बढावा दिया और स्वय इस पर योग्य मार्गदर्शन कर धर्मार्थ अस्पताल खोलने हेतु अग्रेसर हुए।

            इस प्रकार इस मंडल की आर्थिक परिस्थिती को देखते हुए दि. २९ जुन १९८९ को महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनकी प्रमुख उपस्थिती में डॉ. मनो ठुब्रीकर, असोसिऐटेड प्रोफेसर, व्हर्जिनिया, मेडीकल सेंटर, व्हर्जिनिया, यु. एस.ए. इनकी अध्यक्षता में डॉ. कडासने, सिविल सर्जन, मेयो जनरल हॉस्पीटल, नागपूर इनके करकमलों व्दारा "मानव मंदिर" भवन की रुम नं ५ में धर्मार्थ अस्पताल का उद्घाटन हुआ। तत्पश्चात अस्पताल का लाभ इस मार्ग के सेवक तथा अन्य लोग जो पिछडे एवं गरीब बस्ती में रहते थे। उन सभी को अधिकतम लाभ मिले इस कारण पिछड़ा क्षेत्र समझे जानेवाले जागनाथ बुधवारी क्षेत्र में स्थानांतरीत किया गया। यह क्षेत्र गोलीबार चौक ,बांगला देश, बिनाकी मंगलवारी, लालगंज, शांतीनगर, इतवारी जुनी मंगलवारी, महाल इस क्षेत्र का मध्यवर्ती स्थल है, क्योंकी इस क्षेत्र में इस मार्ग के अधिकतम सेवक रहते है। तथापि उपरोक्त संपूर्ण क्षेत्र पिछडा होकर गरीब बस्ती का है। इसलिये अन्य गरीब लोगों को भी इसका लाभ मिले यह उद्देश था।

         इस अस्पताल में दो नियमित डॉक्टर है और हर दिन सामान्यतः ७० से ८० रुग्ण उसका लाभ पाते है। इस प्रकार बाबांने मानव को शारिरिक वेदना से (रोग) मूक्त करने का कार्य किया है। यह अस्पताल केवल गरीब सेवकों की ओर से प्राप्त होने वाले दान पर ही चलता है, यह विशेषता है। इस प्रकार यह एक गरीब लोगों की ओर से संचालित होने वाला भारत का "एकमात्र अस्पताल" है, ऐसा कहना गलत नही होगा।

          इसी प्रकार का वैद्यकीय लाभ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मिले इस उद्देश से बाबांके मार्गदर्शन में मंडलकी ओर से भंडारा जिला के मोहाडी तहसील के धोप इस गांवमें अस्पताल खोलकर गरीब सेवकों की और लोगों की सेवा करने का संकल्प महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इन्होने लिया। इस प्रकार दिनांक १४ अक्तुबर १९९१ को महानत्यागी
बाबा जुमदेवजी इनके शुभ हस्ते अस्पताल का उद्घाटन हुआ और पहले ही दिन ८० रुग्णोंने उसका लाभ पाया। इस उद्घाटन कार्यक्रम के लिये आमदारव्दय श्री. सुभाष कारेमोरे एवं श्री. राम आस्वले उपस्थित थे। इस क्षेत्र की गरीब जनता अधिकाधिक संख्या में इस अस्पताल का लाभ उठा रही है। धन्य वह मानव धर्म स्थापन करनेवाले सेवकों के धर्मगुरु महानत्यागी बाबा जुमदेवजी ।

नमस्कार..!

लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।

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🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


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