Tuesday, May 26, 2020

प्रकरण क्रमांक:- (३४) "सहकारी ग्राहक भांडार"

               "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



              "मानवधर्म परिचय पुस्तक"

                   प्रकरण क्रमांक (३४)

                "सहकारी ग्राहक भांडार"


प्रकरण क्रमांक:- (३४) "सहकारी ग्राहक भांडार"


       महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने आध्यात्मिक कार्य के व्दारा सेवकों के शारिरीक दुःख दूर करने पर उनका जीवनस्तर उपर लाने हेतु उन्हें आर्थिक लाभ प्राप्त हो इसलिये  सहकारी बैंक स्थापित कर सहायता की। तत्पश्चात सेवकों की दैनिक मुलभत आवश्यकताएँ आसानी से कैसे पुरी होंगी इस ओर भी उन्होने ध्यान दिया।

        सितंबर १९७६ में एक दिन महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडल के पदाधिकारी उपस्थित थे। चर्चाबैठक के दौरान उन्होंने बाबा को बिनती की की, वर्तमान में बाजार में अच्छी वस्तुएँ मिलती नही। जिधर उधर खाद्य वस्तुओं में मिलावट हो रही इसलिये हम सेवकोंकी ऐसी इच्छा है की, अपने मार्ग के सेवकों को जीवनोपयोगी वस्तु अच्छी, शुष्द और आसानी से मिले। इस उद्देश से सहकारी तत्वोपर बाबा के मार्गदर्शक में एकाथ ग्राहक भांडार तैयार होना चाहिए। इस पर बाबांने सेवकों को मार्गदर्शन किया। बाबांने उस प्रस्ताव का स्वागत किया और उन्होने कहा, आप सबकी इच्छा है तो सहकारी भांडार स्थापित करने में कोई दिक्कत नही। बाबा सेवकों की इच्छा को हमेशा साथ देकर वह पुरी करते है। तथापि हमें अच्छी चीजे योग्य दर पर आसानी से कैसे प्राप्त होगी, इसका विचार करे, ऐसा कहकर बाबाने सेवकों को आदेश दिया की बहुउद्देशिय भांडार के बॉयलॉज खरीदकर सहृकारी तत्वोपर
प्रयोजल तैयार करें और जिला उपनिबंधक सहकारी संस्था इनकी ओर भेजे वैसे ही खाद्य-आपुर्ती अधिकारी इनसे अनाज के लिये संपर्क करे इसके लिये श्री. देवाजी दिल्दुजी खापरे इनको मुख्य प्रदर्तक मनोनीत कर के ग्यारह लोगों की समिती स्थापन की गई और बाबांके मार्गदर्शन में इस समितीने ग्राहक भांडार निर्मिती का कार्य किया।

        जिला उपनिबंधक सहकारी संस्था नागपूर इनसे पत्र व्यवहार पूरा होने पर उनके पत्र व्यवहार पूरा होने पर उनके पत्र क्रमांक एन.जी.पी./सी. ओ.एन/ १८७/७६ दि. १६ दिसंबर १९७६ के पत्रानुसार "परमात्मा एक सेवक बहुउद्देशिय ग्राहक भांडार सहकारी संस्था, नागपूर" इस नाम से चिल्लर खरीदी-बिक्री के लिये संस्था का पंजीयन किया गया। इस समय तक सेवकों की पूँजी के रूप में ६०२० रुपये जमा हुये थे। व्यवहार के लिए राशि की कमी होने से सेवकों की ओर से सावधि जमा स्वीकार किये गये। साथ ही जिला मध्यवर्ती ग्राहक भांडार सहकारी संस्था की पूँजी भी ली गई। उसी तरह नागपूर डिस्ट्रीक्ट को ऑपरेटिव्ह बैंक, नागपूर से पचास हजार रुपये का कॅश क्रेडीट कर्ज लिया। गया। दुकान के लिये सुयोग्य ऐसी जगह देखकर पहले किराणा और खाद्य दुकान १०३२० रुपये पूँजी पर खोली गयी। ४ जुन १९७७ को महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनकी प्रमुख उपस्थिती में श्री. नागोराव खापरे, अध्यक्ष, परमात्मा एक सेवक नागरिक सहकारी बैंक इनके शुभ हाथों से भांडार का उद्घाटन जागनाथ बुधवारी, तीन नल चौक यहाँ पर हुआ। इस दिन फल्ली तेल का कोटा बाँटा गया। इस दुकान में दैनिक जीवनोपयोगी बस्तुएं, अनाज, किराणा, आदि रखे गये थे। इस प्रकार सेवकों को तथा उस क्षेत्र के गरीब लोगों को उचित दाम पर अच्छी वस्तुएँ मिलने का एकमात्र केन्द्र बना है।

        इस दुकान में संपूर्ण व्यवहार सत्य से ही किया जाता है। इस दुकान की प्रगती होकर उसी का दुसरा हिस्सा कुछ ही दिनों में कपड़ा बिक्री से प्रारंभ किया गया। इस दुकान की ख्याती सुनकर महाराष्ट्र सरकारने शक्कर और सिमेंट की एजेन्सी भी संस्था को दी और इस चिल्लर व्यवहार के साथ थोक व्यवहार शुरू हुआ। यह ग्राहक भांडार सहकारी तत्यों पर बाबा के आदेशानुसार "ना लाभ ना हानी" इस तत्व पर शुरु है। यहाँ के संचालक मंडल निष्काम भावना से ग्राहक मंडल की सेवा करते है यहाँ के कर्मचारी स्वयं की दुकान समझकर बाबाने सिखाये अनुसार सत्य, मर्यादा, प्रेम से व्यवहार करते है। इस कारण इस दुकान के बारे में जानकर बुधवारी क्षेत्र में आदर स्थापित होकर विश्वास निर्माण हुआ है। इसलिये यह संस्था कम समय में प्रगती पथ पर आयी है। इस दुकान के कर्मचारी भी निस्वार्थ भावना से कार्य कर के ग्राहक भांडार का नाम उज्ज्वल करने में सहायता दे रहे है।

नमस्कार..!

लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।

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🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


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