Tuesday, June 2, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश" क्रमांक:- (२)

       "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश"

                [ संदेश दि. २७/११/१९७१ ]





           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                   [ संदेश दि.२७/११/१९७१ ]

          
         

        "घरवाले सुन लो। घरवालो ने बाबा से झूठ बोल कर कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये। सेवक के (बाबा) शब्द भगवत के शब्द, सेवक की मर्जी भगवत् की मर्जी है। हर सेवक और बाईने बाबा को हृदय में रखकर कदम डालना चाहिये। जो सेवक सही कदम डालेगा वह बाबा का भाई होगा। अन्यथा उसका बाबा से कोई संबंध नही। सुख शांती चाहिये तो मानव बनो, बुध्दिमान बनो। श्रम से जीवो। बच्चो को बुध्दिमान बनाओ। बाबा के आदेश का पालन करना चाहिये"।



लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।


टिप:- ये पोस्ट कोई भी कॉपी न करे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।



🔸 ऊपर लिखित संदेश "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


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