"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"
[ संदेश दि. २२/०७/१९७२ ]
महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)
[ संदेश दि.२२/०७/१९७२ ]
"भगवान का कार्य भगवान करेगा, लेकीन मानव का कार्य मानव ने ही करना चाहिये मानव अपने जीवन में एकता की भावना बिना भगवत् कृपा पा नही सकता। इस मार्ग पर जो भी पिडीत और गरीब है उसे सहकार्य करना चाहिये। बाबा अपने आपसे, नीतीसे अनीती पहनायेगा तो उसे भगवान नष्ट कर देगा। इसलिये मानवता को पहचाने और हमारी मानवता को कोई धक्का न दे। हमारी मानवता को न ललकारे"।
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
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🔸 ऊपर लिखित संदेश "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
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