"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"
[ संदेश दि. २५/०३/१९७२ ]
महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)
[ संदेश दि.२५/०३/१९७२ ]
"प्रपंच साधते परमार्थ करे, भगवत् कृपा पाये। जीवन सफल बनाये। जबतक मानव को परिपूर्ण समाधान मिलता नही तब तक मानव मंदिर सजता नही। बाबा के आदेश से काम करने से बहुत बडा लाभ होता है। बाबा के बैठक में आत्मा के विचार को साफ रखना चाहिये"।
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
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🔸 ऊपर लिखित संदेश "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
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परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर
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