"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"
[ संदेश दि. २०/०८/१९८१ ]
महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)
[ संदेश दि.२०/०८/१९८१ ]
"चौतीसवे प्रगट दिन के उपलक्ष में"-
"सत्य ही परमेश्वर है। और परमेश्वर ही सत्य है। पृथ्वीतल पर मानव यही एकमेव प्राणी है, जो इस श्रेय को समझ सकता है। इसलिये मानवता के नाम बाबा का यही संदेश है की, हे मानव तु जाग जा, तुफान आनेवाला है। जो जागेगा सो पायेगा। जो सोयेगा सो खोयेगा। सत्य, मर्यादा, प्रेम यही जीवन की सफलता है। सत्य, मर्यादा, प्रेम को अपनाने वाला मानव ही भगवान को पायेगा"।
लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।
टिप:- ये पोस्ट कोई भी कॉपी न करे, बल्कि ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
🔸 ऊपर लिखित संदेश "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।
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