Monday, June 8, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे" संदेश क्रमांक:- (८)

    "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

             [ संदेश दि. २०/०८/१९८१ ]




           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                                                                         

             [ संदेश दि.२०/०८/१९८१ ]

       
 

    "चौतीसवे प्रगट दिन के उपलक्ष में"-             


 "सत्य ही परमेश्वर है। और परमेश्वर ही सत्य है। पृथ्वीतल पर मानव यही एकमेव प्राणी है, जो इस श्रेय को समझ सकता है। इसलिये मानवता के नाम बाबा का यही संदेश है की, हे मानव तु जाग जा, तुफान आनेवाला है। जो जागेगा सो पायेगा। जो सोयेगा सो खोयेगा। सत्य, मर्यादा, प्रेम यही जीवन की सफलता है। सत्य, मर्यादा, प्रेम को अपनाने वाला मानव ही भगवान को पायेगा"।

       
                                                                          


लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।


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🔸 ऊपर लिखित संदेश "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



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Sunday, June 7, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" के संदेश क्रमांक:- (७)

  "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश"

           [ संदेश दि. ०१/०९/१९८० ]




           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                                                                        

               [ संदेश दि.०१/०९/१९८० ]

          

    

          "३३ वे प्रगट दिन के उपलक्ष में निष्काम कर्मयोग व्दारा भगवत प्राप्ती के लिये मानव धर्म का मार्गदर्शन करने वाले महानत्यागी बाबा जुमदेवजी का इस देश के नागरिको कों संदेश"-
        

          "इस देश का नागरिक सत्य के लिये जाग जाये। युग परिवर्तन हो रहा है। सत्ययुग, व्दापार युग, त्रेतायुग और कलियुग के बाद घुमकर सत्ययुग आ रहा है। इस युग परिवर्तन के आनेवाले प्रलय से जो मानव सत्यकर्म करेगा। वही बच पायेगा। इसलिये इस देश के नागरिक अपने जीवन में सत्य, मर्यादा और प्रेमका पालन करके मानव जीवन सफल बनावे"।
        

          "हाल की परिस्थिती में हो रहा भ्रष्टाचार दूर करना यह कोई भी मानव के हाथ की बात नही है। उसे भगवत् कृपा ही दूर कर सकती है। युग परिवर्तन के चक्र से निर्माण होने वाले प्रलय से मानव को खुद सुरक्षित रहना है। तो हर मानव ने अपने जिवन में सत्य, मर्यादा और प्रेम का आचरण करना चाहिये। और भगवान को शांती प्रदान करनी चाहिए । यही बाबाने नागरिको को संदेश दिया"।

      
                                                                         

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Saturday, June 6, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" के संदेश क्रमांक:- (६)

    "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

              [ संदेश दि. २२/०७/१९७२ ]




           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                                                                        

                 [ संदेश दि.२२/०७/१९७२ ]

        

     

         "भगवान का कार्य भगवान करेगा, लेकीन मानव का कार्य मानव ने ही करना चाहिये मानव अपने जीवन में एकता की भावना बिना भगवत् कृपा पा नही सकता। इस मार्ग पर जो भी पिडीत और गरीब है उसे सहकार्य करना चाहिये। बाबा अपने आपसे, नीतीसे अनीती पहनायेगा तो उसे भगवान नष्ट कर देगा। इसलिये मानवता को पहचाने और हमारी मानवता को कोई धक्का न दे। हमारी मानवता को न ललकारे"।


                                                                          

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Friday, June 5, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे" संदेश क्रमांक:- (५)


   "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

           [ संदेश दि. २५/०३/१९७२ ]




           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                                                                             

           [ संदेश दि.२५/०३/१९७२ ]

       

     "प्रपंच साधते परमार्थ करे, भगवत् कृपा पाये। जीवन सफल बनाये। जबतक मानव को परिपूर्ण समाधान मिलता नही तब तक मानव मंदिर सजता नही। बाबा के आदेश से काम करने से बहुत बडा लाभ होता है। बाबा के बैठक में आत्मा के विचार को साफ रखना चाहिये"।


                                                                            

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Thursday, June 4, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे" संदेश क्रमांक:- (४)


    "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

              [ संदेश दि.११/१२/१९७१ ]




           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)

                                                                        

                

            [ संदेश दि.११/१२/१९७१ ]

       

        "बाबा बोलता वह भगवान बोलता। भगवान बोलता वह बाबा बोलता है बाबाने दिये हुये नियम को जागना भगवान को जागना है"।

                                                                        


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Wednesday, June 3, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश" क्रमांक:- (३)


    "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

            [ संदेश दि. ०४/१२/१९७१ ]



           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                                                                       

              [ संदेश दि.०४/१२/१९७१ ]

       

         "भगवत कृपा महानशक्ती है। भगवान को आकार में नही बना सकते। उसे तत्व विश्वास और त्याग से बना सकते हैं। त्याग धैर्य बनेगा। निश्चय से विश्वास बनेगा। भगवान ने आत्मा से निर्जीव वस्तु को सजीव बनाया। देशपर बहुत बड़ी आपत्ती है। इसलिये हमे वहाँ जाना है। हम चलते है"।

                                                                       

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Tuesday, June 2, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश" क्रमांक:- (२)

       "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के संदेश"

                [ संदेश दि. २७/११/१९७१ ]





           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                   [ संदेश दि.२७/११/१९७१ ]

          
         

        "घरवाले सुन लो। घरवालो ने बाबा से झूठ बोल कर कुछ भी छुपाना नहीं चाहिये। सेवक के (बाबा) शब्द भगवत के शब्द, सेवक की मर्जी भगवत् की मर्जी है। हर सेवक और बाईने बाबा को हृदय में रखकर कदम डालना चाहिये। जो सेवक सही कदम डालेगा वह बाबा का भाई होगा। अन्यथा उसका बाबा से कोई संबंध नही। सुख शांती चाहिये तो मानव बनो, बुध्दिमान बनो। श्रम से जीवो। बच्चो को बुध्दिमान बनाओ। बाबा के आदेश का पालन करना चाहिये"।



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प्रकरण क्रमांक:- (४२) "उपदेश"

                  "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" (  हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



                "मानवधर्म परिचय पुस्तक"

                      प्रकरण क्रमांक (४२)

                            "उपदेश"


प्रकरण क्रमांक:- (४२) "उपदेश"


          महानत्यागी बाबा जुमदेवजीने परमेश्वर प्राप्ती के बाद भगवंत के आदेशानुसार नये "मानव धर्म" की शुरूवात की। इस धर्म का प्रमुख उद्देश यही है की, प्रत्येक नर-- नारी में भगवंत का निवास है। वह आत्मा है और आत्मा यह २४ घंटे चैतन्य है। क्योंकी उसमें दैवी शक्ती जागृत है। मानव को संबोधित करते हुए बाबा कहते है की, सजिवों में भगवान है। नि्जीव वस्तुओं में नहीं है। इसलिये वे मानव को जीवन में निर्जीद मूर्ती की पूजा बंद करने को कहते है। क्योंकी मानव ने अनेक देवता को मानने से उसका मानसिक परिणाम नर-नारी इन दोनों पर भी होता है। इसका दुष्परिणाम उसके परिवार पर होता है। इन बातों का लाभ ज्योतिषी, तांत्रिक-मांत्रिक लोग अधिक मात्रा में उठाते है।

         परमेश्वर ने महानत्यागी बाबा जुमदेवजी की ओर से वचन लिया और बाबाने वह भगवंत को दिया,"जीवन में परमेश्वरी सेवा में सच्चाई से निष्काम सेवा करुंगा।" तदनुसार पिछले ४६ वर्षो से निष्काम भावना से मानव जागृती करते है। बाबा एक गृहरस्थी होकर भी त्यागी है। वह गुरुपुजा (गुरुदक्षिणा) नही लेते। तथा किसी भी प्रकार की दक्षिणा या दान नहीं लेते। उनका उद्देश एक ही है। भगवान नर-नारी में विराजमान है। इसलिये बाबा इमान(सच्याई) सामने रखकर निष्काम भावना से नर नारी को मार्गदर्शन करते है और उनके जीवन का दुख दूर होता है। नर-नारी स्वयं भगवंत को विनंती करके अपने दु ख दूर करते है। बाबा उसमें हस्तक्षेप नहीं करते।

       बाबा के मार्गदर्शन से इस धर्म में प्रवेश किये लोग स्वयं हवन करते हैं। विद्वानों के लिखे अनुसार,"अपना छुटकारा स्वयं करे।" इस कथनानुसार वे व्यवहार करते हैं। स्वयं का छुटकारा स्वयं करते हैं और उनके यहाँ आनेवाले दुःखी लोगों को मार्गदर्शन कर उनके भी दुःख दूर करते हैं। साप का जहर उतारते है। इस धर्म की स्त्री हो या पुरुष, उसका आत्मशक्तीबल उसकी सद्भावना के कारण बढ़ा है। यह प्रचिती इस धर्म के प्रत्येक सेवकों को है। आत्मानुभव यही सत्य आत्मप्रचिती है। और यही सत्य आत्मज्ञान है। यह इस धर्म में प्रमाणित(सिध्द) हुआ है इस देश में प्रत्येक धर्म में लोग अघकारमय जीवन कैसे जियेंगे। उसका लाभ अपने धर्म को कैसे मिलेगा यह उसके पिछे उद्देश होगा ऐसा बाबा समझते है। इसलिये यह दैवी शक्ती इस धर्म में सत्य जागृत हुई है। इस देवी शक्तीने चार तत्व, तीन शब्द, पांच नियम इन बंधनों के कारण मानव को बुरे विचारों से मुक्त किया और दृष्ट विचारों का नाश किया। आज देश को इन नियमों की अत्यंत आवश्यकता है। इस धर्म का प्रमुख उद्देश त्याग है। ऐसा त्याग किसी भी धर्म में नहीं है। आज बाबांके नजरों में आता है की, इस देश में लोकतंत्र आया है। तथा जो जिम्मेदार लोग है। वे मतिभ्रष्ट(बुध्दिभ्रष्ट) हुए है। इस देश के गरीब लोगों का जीवन नष्ट करने में लगे हैं। इस देश में सच्चा लोकतंत्र नही है। इस देश की सत्ता पूँजीपती लोगों के हाथ में है। ऐसा कहना गलत नही होगा। हम हर रोज व्यवहार में जो-जो देखते है वह सभी देवी शक्ती के विरूषद कार्य है। दैनिक जीवन बिताना कठीन हुआ है। परिस्थिती बिधड रही है। इसलिये इस देशवासियों को बाबां का आवाहन है की, वे जागृत हो और सत्ययुग निर्माण करें।

नमस्कार..!

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Monday, June 1, 2020

"महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे" संदेश क्रमांक:- (१)

    "महानत्यागी बाबा जुमदेवजींचे संदेश"

               [ संदेश दि. २०/११/१९७१ ]



           महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इनके निवासस्थान पर भगवत कृपा प्राप्ती के बाद हर शनिचर को निराकार बैठक होती थी। निराकार बैठक में बाबा देहभान अवस्था में रहते थे। उस समय उन्होने किये हुए मार्गदर्शन से सेवकों को संदेश मिलता था। उनमें से कुछ विशेष संदेश इस पाठ में दिये है। (जो मुलतः हिन्दी में ही है।)


                  [ संदेश दि.२०/११/१९७१ ]

          

          "इस मार्ग के तत्वपर चलना है। पुराने तत्व बदल देना चाहिये। गलत चलने की भुमिका छोड देना चाहिये। बुरे विचार बंद करना चाहिये। अनेक व्यसन बंद करके भगवत् कृपाको हृदयमे रखकर सत्य, मर्यादा, प्रेम से रहकर जीवन को उठाये। सत्य भुमिका काभय नही मानना चाहिये"।


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प्रकरण क्रमांक:- (४१) "परमात्मा एक सेवक मानवधर्म आश्रम, पावडदौना"

                 "मानवधर्म परिचय"


"मानवधर्म परिचय पुस्तक" ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती



          "मानवधर्म परिचय पुस्तक

               प्रकरण क्रमांक (४१)

 "परमात्मा एक सेवक मानवधर्म आश्रम, पावडदौना"


प्रकरण क्रमांक:- (४१) "परमात्मा एक सेवक मानवधर्म आश्रम, पावडदौना"


         भारत में बहोत धर्म और पंथ है। उसी तरह बहोत साधू संत भी है। वे ४ वेद, ६ शास्त्र, पुराण, रामायण और महाभारत इन ग्रंथो के उपर प्रवचन देकर मानव को परमेश्वर के बारे में जगाने का कार्य करते है। ऐसे प्रवचन को सभी स्तर के लोगों का सहभाग होता है। इनको बडे-बडे धनिक लोग मदत देते है। ऐसेही कुछ साधू संतों के भारत में अलग-अलग जगह आश्रम है।

         महानत्यागी बाबा जुमदेवजी ने सृष्टी रचयता एक परमेश्वर की कृपा प्राप्त करने के बाद चार तत्व, तीन शब्द और पांच नियमो के जरिये गरीबी, दुखी और तरह- तरहे के रोगो से पिडीत लोगों को मार्गदर्शन करके खुदही मोह, माया, अहंकार का त्याग करके जीवन में तत्व, शब्द और नियमों का पालन करने से परमेश्वरी कृपा प्राप्त कर सकते है। इसी तरह उनको रहनेवाले दुखोसे और तरह-तरह के रोगो से मुक्ती मिलाकर वे अपना जीवन खुद के कार्य से सुख और समाधान से जी सकते है। उन्हे किसी के भी आशिर्वाद की जरुरत नही, यह बाबाने सिध्द कर दिखाया है। बाबाने किये मार्गदर्शन का लाखो लोगो ने स्विकार करने से उनके जीवन सुखी होकर उन्हे इसका आत्मानुभव मिला है। बाबाके मार्गदर्शन के अनुसार चलनेवाले सेवक परमेश्वरी क पिा से खुद अपने दुःखख दूर तो करते ही है, वैसे ही दसरों को भी समाधान देने का काम भी कर सकता है। यह बाबाके अनुभव से सिध्द कर दिखाया है। बाबाने प्राप्त किया हुआ परमेश्वरी कृपा का फायदा लोगों को मिले इसलिये बाबा निरंतर मार्गदर्शन करत आये है। लेकीन उन्होने कभी भी आनेवाले लोगों से कुछ मिले ऐसी आशा रखी नही और निष्काम भाव से मार्गदर्शन किया है और उनसे कभी भी गुरुपुजा ली नही, वैसे ही उन्हे पैर भी पडने नही दिये। ऐसे इस महान व्यक्तीने स्थापित किया मानव धर्म का भी आश्रम हो उसी तरह आश्रम में आनेवाले मानव को परमेश्वर की जागृती मिले ऐसा परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ के पदाधिकारी और सेवकों को लगने लगा। यह विचार मंडळ के पदाधिकारी इन्होने महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के सामने रखा। बबाने उन्हे इस बारेमे मंजुरी दी। उस पश्चात मंडळ के पदाधिकारी वैसे ही कार्यकर्ताओने आश्रम के लिये जगह देखना शुरु किया।

         लाखनी, जिल्हा भंडारा यहाँ रहनेवाले सेवक श्री. रमेशजी धनजोडे इनकी नागपूर भंडारा महामार्ग के पास मौदा तहसील के पावडदौना गाँव में १२.५ एकड जगह है। और उन्होने वह जगह बेचने के लिए निकाली है, यह मालुम होने से मंडळ के पदाधिकारीयों ने उनसे संपर्क किया और यह खेत आश्रम के लिए अच्छी रहेंगी, उस बारे में कार्यकर्ताओंकी सभा में जानकारी देने में आयी। महानत्यागी बाबा जुमदेवजी को परमेश्वरी कृपा प्राप्त करने का मंत्र मौदा इस गाँव में रहनेवाली व्यक्ती से मिला था । उसी तरह यह जगह महामार्ग के पास रहने के कारण आश्रम के लिए ली जाए ऐसी राय सामने आनेसे और सभी ने इसे मंजुरी देने के कारण विश्वस्त मंडळने उनके तारिख ৭४/९/१९९७ की सभा में १२.५ एकड खेती लेने के लिये करारनामा करने को एकमत से मंजूरी प्रदान की। इस तरह परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ, नागपूर के नाम से बिक्रीपत्र करने में आया। इस जगह पर आश्रम का बांधकाम सुरु करने के लिए महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के सुपुत्र डॉ. मनो ठुब्रीकर इनके हाथो २१ जुन १९९८ को भुमी पुजन करके आश्रम के बांधकाम को शुरुवात करने में आयी।।

           आश्रम की जगह प्रार्थना स्थल, बाबा की कुटी, निराधार आश्रम का बांधकाय और सौ. वाराणसी ठुब्रीकर उद्यान का काम पुरा होने के बाद उस जगह भव्य सेवक सम्मेलन लेना चाहिए ऐसा निर्णय लेने में आया उस तरह तारिख २६ जनवरी २००० से हर साल गणतंत्र दिन के उपलक्ष में आश्रम स्थल में हवनकार्य, ध्वजारोहन और भखा सेवक सम्मेलन का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में लाखों सेवक महिला पुरुष यह परिवार अपने-अपने खाने के डिब्बे लेकर आते है और कार्यक्रम के बाद वनभोजन का आस्वाद लेते है।

          दिन-ब-दिन सेवकों की बढती संख्या देख आश्रम का विस्तारीकरण करने के ख्याल से ज्यादा की जगह लेने में आकर इस वक्त आश्रम की २२ एकड जगह है। महानत्यागी बाबा जुमदेवजी के मार्गदर्शन के नुसार आश्रम में अंधश्रध्दा निर्मुलन, व्यसनमुक्ती अभियान और मानव कल्याण के कार्यक्रम का आयोजन करने में आता हैं। महानत्यागी बाबा जुमदेवजी इन्होने स्थापित किया हुआ "मानव धर्म'" का यह आश्रम रहने की वजह से लाखों सेवक और श्रध्दालु इस जगह आते है। इस कारण इस आश्रम को तीर्थक्षेत्र का रुप प्राप्त हुआ है। इसलिए महाराष्ट्र सरकारने उनके ग्राम विकास और
जलसंधारण विभाग, मंत्रालय, मुंबई इनके तारीख १७ दिसंबर २००९ के पत्र क्रमांक तीर्थपि २००९/प्र.क्र.५३/योजना ७ नुसार मानव धर्म आश्रम, पावडदौना इसका राज्यस्तरीय तीर्थक्षेत्र ब दर्जा स्थल करके घोषित किया है। इसलिए इस आश्रम का विदर्भ का एक प्रमुख तीर्थस्थल का स्थान प्राप्त हुआ है।

          इस आश्रम के दक्षिण पुर्व की तरफ भव्य प्रार्थना स्थल निर्माण करने का काम सेवको से मिलने वाले आश्रमनिधी से करने में आ रहा है और इसके लिए सेवको का बडे पैमाने पर सहयोग मिल रहा है। इसी तरह आश्रम के सौंदर्यींकरण के लिए महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सहायता मिलने वाली है। उसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। सेवकों की मदत और सरकार की मदत से मानव धर्म आश्रम एक प्रेक्षणिय तीर्यक्षेत्र स्थल करके जल्द ही बनकर तैयार हो रहा है।

नमस्कार..!

लिखने में कुछ गलती हुई हो तो में  "भगवान बाबा हनुमानजी"और "महानत्यागी बाबा जुमदेवजी" से क्षमा मांगता हूं।

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🔸 ऊपर लिखित आवरण "मानवधर्म परिचय" पुस्तक ( हिंदी ) सुधारित द्वितीय आवृत्ती से है।



सौजन्य:- सेवक एकता परिवार ( फेसबुक पेज )

परमपूज्य परमात्मा एक सेवक मंडळ वर्धमान नगर नागपूर


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